हिंदी का प्रथम उपन्यास किसे माना जाता है | Hindi ka pratham upanyas kise mana jata hai



Hindi ka pratham upanyas kise mana jata hai

आप सभी का हमारे ब्लॉग में हार्दिक स्वागत है कि आप जानते हैं हिंदी की प्रथम उपन्यास किसको माना जाता है नहीं तो हम आपको इस आर्टिकल में आपको बताएंगे।

हिंदी की प्रथम उपन्यास परीक्षा गुरु है। परीक्षा गुरु उपन्यास दिल्ली के श्रीनिवास दास द्वारा लिखा गया था और 1882 में प्रकाशित हुआ था। परीक्षा गुरु उपन्यास को 1974 में रामदास मिश्रा द्वारा एक प्रस्तावना के साथ पुनर्मुद्रित किया गया था। परीक्षा गुरु उपन्यास को हिंदी कथा साहित्य में एक मील का पत्थर माना जाता है। 

परीक्षा गुरु पहला आधुनिक हिंदी उपन्यास है। परीक्षा गुरु उपन्यास ने संपन्न परिवारों के युवकों को बुरी संगत के खतरनाक प्रभाव और परिणामी ढीली नैतिकता के प्रति आगाह किया। परीक्षा गुरु नए उभरते मध्य वर्ग की आंतरिक और बाहरी दुनिया को दर्शाता है। 

परीक्षा गुरु उपन्यास हिंदू बैंकरों और व्यापारियों की फिजूलखर्ची की कहानी कहता है। इसका विषय पश्चिमी संस्कृति को अपनाना नहीं है।
 
 
परीक्षा गुरु उपन्यास अपनी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करते हुए उपनिवेशित समाज को अपनाने में नए मध्य वर्ग की कठिनाइयों को चित्रित करता है। 

परीक्षा गुरु उपन्यास इस बात पर जोर देता है कि पश्चिमी आदर्शों को मन में बिठाया जाना चाहिए, लेकिन मध्यवर्गीय परिवारों के पारंपरिक मूल्यों का त्याग किए बिना।

परीक्षा गुरु उपन्यास युवाओं से समाचार पत्र पढ़ने की स्वस्थ आदत विकसित करने का आग्रह किया जाता है। यह सब पारंपरिक मूल्यों का त्याग किए बिना हासिल किया जाना चाहिए।

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