आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति में से एक है। आयुर्वेद हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की प्राचीन भाषा संस्कृत में लिखा गया है। यह विशेष रूप से पारंपरिक चिकित्सा के लिए जाना जाता है। आयुर्वेद का जनक धन्वंतरि को कहा जाता है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में देवताओं के चिकित्सक थे।
धन्वंतरि समुद्र मंथन के अंत में एक हाथ में अमृत कलश और दूसरी हाथ में आयुर्वेद के साथ पैदा हुए थे। धन्वंतरि ने आयुर्वेद चिकित्सा का ज्ञान भगवान ब्रह्मा से प्राप्त किया था। इसकी शुरुआती अवधारणाओं को वेदों के हिस्से में अथर्ववेद के रूप में जाना जाता है। धन्वंतरि की दो पत्नियाँ का नाम दिति और अदिति था।
आयुर्वेद के अनुसार संपूर्ण ब्रह्मांड पांच तत्वों से बना है: वायु, जल, पृथ्वी, आकाश और अग्नि। ये पांच तत्व आयुर्वेद में पंच महाभूत के रूप में संदर्भित किया जाता है।
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आयुर्वेद उपचार पद्धति का लक्ष्य व्यक्ति को अशुद्धियों को दूर करने, लक्षणों को कम करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, चिंता को कम करने और जीवन में सामंजस्य बढ़ाने में सहायता करते हैं।
आयुर्वेद चिकित्सा की प्रणाली है जो भारत में एक तर्कसंगत तार्किक आधार के साथ विकसित हुई है और यह चिकित्सा पद्धति नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, यूएई, कोलंबिया, मलेशिया, स्विटजरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, क्यूबा, तंजानिया में प्रचलित है।
आयुर्वेद के चिकित्सकों द्वारा हर साल धनतेरस पर दिवाली त्योहार से दो दिन पहले धन्वंतरि का जन्मदिन मनाया जाता है। दक्षिण भारत में विशेष रूप से केरल और तमिलनाडु में धन्वंतरि को समर्पित कुछ मंदिर हैं।
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